IPO kya hai?
IPO kya hai | FPO kya hai | Type of IPO | OFS kya hai | Fixed Price Issue kya hai | Book Building Issue kya hai | IPO me invest kaise kare | Primary aur Secondary Market kya hota hai |
IPO क्या है? जब पहली बार कोई कंपनी अपने शेयर को लोगो के लिए जारी करती है, तो उसे IPO कहते हैं | IPO में नए शेयर यीशु होते हैं | IPO का फुल फॉर्म – इनिशियल पब्लिक आफरिंग (Initial Public Offering) होता है|
ध्यान दें – IPO से लिए गए शेयर का पैसा सीधा कंपनी के पास जाता है |
IPO के प्रकार?
फिक्स्ड प्राइस यीशु (Fixed Price Issue)
जैसा कि हमें नाम से पता चलता है | जब IPO का यीशु प्राइस प्रमोटर्स के द्वारा फिक्स कर दिया जाता है | तो उसे फिक्स प्राइस यीशु कहते हैं | जैसे किसी xyz कंपनी का फिक्स प्राइस ₹200 हो|
बुक बिल्डिंग यीशु (Book Building Issue)
जब IPO का दाम फिक्स ना करके एक बैंड में issue किया जाता है | तो उसे बुक बिल्डिंग यीशु कहते हैं | जैसे xyz कंपनी का बुक बिल्डिंग यीशु बैंड ₹180 से ₹200. मतलब आप ₹180 से लेकर ₹200 तक बोली लगा सकते हैं |
ध्यान दें – ऐसा करके कंपनी एक मिनिमम और मैक्सिमम वैल्यू फिक्स्ड करती है, और फिर एक कटऑफ निकालती है | जिसमें कट ऑफ के ऊपर वालों को शेयर जारी कर दिया जाता है |
IPO में इन्वेस्ट कैसे करें?
IPO में इन्वेस्ट करने के लिए हमारे पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए, और आपने जिस स्टॉक ट्रेडिंग एप्स से अपना डीमैट अकाउंट ओपन करवाया है | उस स्टॉक ट्रेडिंग एप्स से आप IPO में इन्वेस्ट कर सकते हैं |
कौन सी कंपनी IPO जारी करती है?
हर वो कंपनी जो अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहती है, जिसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत होती है, और इसी पैसों की कमी को पूरा करने के लिए कंपनी IPO जारी करती है| जिससे वह काफी ज्यादा पैसे इकट्ठा करती है, और बदले में अपनी कंपनी में हिस्सा देती है, और फिर इंडियन स्टॉक एक्सचेंज में अपनी कंपनी को लिस्ट करती है| ताकि इन्वेस्टर आसानी से शेयर को खरीद और बेच सकें |
आइए इसे उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए – xyz नाम की कंपनी है | जिसकी वैल्यूएशन 200 करोड़ है | अब उस कंपनी को और बड़ी करने के लिए 50 करोड़ की और जरूरत है | अब ऐसे में कंपनी या तो बैंक से लोन ले जिस पर उसे हाई इंटरेस्ट देना होगा | या फिर IPO जारी करें जिसके बदले में उसे अपनी कंपनी में हिस्सा देना होगा |
ध्यान दें – IPO जारी करने के बाद कंपनी प्राइवेट ना रह कर पब्लिक हो जाती है | क्योंकि अब इसमें पब्लिक के भी पैसे इन्वेस्टर है |
ध्यान दें – IPO में हम सिर्फ शेयर को खरीद सकते हैं, बेच नहीं सकते | हमें अपने शेयर को बेचने के लिए कुछ दिनों का इंतजार करना होता है | जब तक वह कंपनी इंडियन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट नहीं हो जाती | एक बार कंपनी लिस्ट हो गई तो हम अपने शेयर को बेच सकते हैं |
IPO में इन्वेस्ट करने के लिए किन बातों को ध्यान में रखें ?
1) IPO से शेयर खरीदने के लिए हमें एप्लीकेशन देनी होती है | जिसमें कोई जरूरी नहीं कि आप को शेयर मिल ही जाएंगे, यह सब शेयर की अवेलेबिलिटी पर निर्भर करता है |
2) IPO में शेयर को हमें क्वांटिटी साइज के हिसाब से खरीदना होता है | मान लीजिए – किसी xyz कंपनी की क्वांटिटी साइज 20 है | तो फिर आप को कम-से-कम 20 शेयर खरीदने होंगे और अगर आप ज्यादा खरीदना चाहते हैं | तो फिर आपको 20 के मल्टीपल में खरीदने होंगे जैसे कि 20, 40, 60…|
3) IPO में शेयर को खरीदने की मैक्सिमम लिमिट भी होती है |
4) जरूरी नहीं कि आपने जितने शेयर खरीदने के लिए अप्लाई किया है | उतने मिल जाए उससे कम भी मिल सकते हैं | यह सब शेयर की अवेलेबिलिटी पर निर्भर करता है |
OFS क्या होता है?
OFS का फुल फॉर्म – ऑफर फॉर सेल (Offer For Sale) होता है | OFS में जो कंपनी पहले से स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट है | उसके प्रमोटर्स अपना stake बेच कर लोगों से पैसा उठाते हैं, और पैसे सीधे प्रमोटर्स के पास जाते है | OFS की शुरुआत 2012 में सेबी के द्वारा की गई थी | OFS से मार्केट कैपिटलाइजेशन की टॉप 200 कंपनी ही अपना stake बेच सकती है | OFS में पुराने शेयर ही यीशु होते हैं | इसमें प्रमोटर्स की हिस्सेदारी लोगों को ट्रांसफर की जाती है |
मान लीजिए किसी – xyz कंपनी के प्रमोटर का stake 60% है, और उसने 5% stake के बदले लोगों से पैसे उठाएं | तो इस तरह प्रमोटर की stake 60% से कम होकर 55% ही रह गई |
FPO क्या होता है?
FPO का फुल फॉर्म – फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (Follow On Public Offer) होता है | FPO जब कोई स्टॉक एक्सचेंज लिस्टेड कंपनी फिर से पब्लिक से पैसा उठाती है, तो उसे FPO कहते हैं |
मान लीजिए – किसी xyz कंपनी ने पहले ही IPO के जरिए पब्लिक से पैसा उठाया है, और अब फिर से अपने शेयर को बेचकर पब्लिक से पैसा उठाना चाहती है | तो वह FPO के जरिए उठा सकती है | FPO में नए शेयर यीशु होते हैं |
प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट क्या होता है?
Primary मार्केट क्या होता है ? | Secondary मार्केट क्या होता है? |
प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बॉन्ड यीशु किए जाते हैं | | सेकेंडरी मार्केट में पहले से ही यीशु हुए बांड और शेयर ट्रेड होते हैं | |
प्राइमरी मार्केट को न्यू यीशु मार्केट भी कहते हैं | | सेकेंडरी मार्केट को आफ्टर मार्केट भी कहते हैं | |
प्राइमरी मार्केट में हम शेयर को सिर्फ खरीद सकते हैं बेच नहीं सकते | | सेकेंडरी मार्केट में शेयर को खरीदा और बेचा जा सकता है | |
प्राइमरी मार्केट में इन्वेस्ट किया हुआ पैसा सीधे कंपनी के पास जाता है | सेकेंडरी मार्केट में इन्वेस्ट किया गया पैसा एक इन्वेस्टर से दूसरे इन्वेस्टर के पास जाता है | |
प्राइमरी मार्केट में शेयर का प्राइस कंपनी डिसाइड करती है | | सेकेंडरी मार्केट में शेयर की प्राइस डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है| |
प्राइमरी मार्केट में कंपनी और इन्वेस्टर के बीच ट्रांजैक्शन होता है | | सेकेंडरी मार्केट में शेयर और पैसे दोनों ही इन्वेस्टर के बीच में ट्रांजैक्शन होता है | |
ध्यान दें – प्राइमरी मार्केट में कंपनी अलग-अलग तरीकों से पैसे ले सकती है, जैसे – पब्लिक यीशु (IPO), प्राइवेट प्लेसमेंट, राइट यीशु आदि |
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शेयर मार्केट की शब्दावली
FAQ –
Ques – IPO कितने दिनों के लिए ओपन होता है?
Ans – 3 या 3 से 10 दिनों के लिए ओपन होता है |
Ques – IPO vs FPO?
Ans – जब पहली बार कंपनी लोगों से पैसा उठाती है, तो उसे IPO कहते हैं | वही कंपनी जब दूसरी बार लोगों से पैसा उठाती है, तो उसे FPO कहते हैं |
Ques – IPO vs OFS?
Ans – IPO में कंपनी नए शेयर देकर पैसे उठाती है | OFS में कंपनी प्रमोटर्स के पुराने ही शेयर को देकर पैसे उठाती है |
Ques – IPO vs Share Market?
Ans – IPO एक प्राइमरी मार्केट होता है | वही शेयर मार्केट एक सेकेंडरी मार्केट होता है |