Investment kya hota hai?

Investment kya hota hai?

investment kya hota hai | investment kaise karte hai | investment me dhyan dene wali batai | investment q karte hai | investment karne ke fayade | investment ke types | investment ki shuruaat kaise kare |

आसान भाषा में कहें तो पैसे से पैसा कमाने को इन्वेस्टमेंट कहते हैं |

इन्वेस्टमेंट से हम बेसिकली 4 तरह से पैसे कमाते हैं –

1) डिविडेंड – कंपनी के द्वारा दिया जाने वाला लाभ का हिस्सा होता है |

2) इंटरेस्ट – जो आपको इंश्योरेंस, एफबी, बॉन्ड, आरडी आदि स्कीम में मिलता है |

3) रियल स्टेट – घर को रेंट पर देना जिससे आपकी एक पैसिव इनकम जनरेट होती है | जो एक तरह से आपका इन्वेस्टमेंट उस घर को बनाने में या खरीदने में किया गया होगा | वह एक तरह से आपके पास रेंट के रूप में वापस आता है |

4) कैपिटल एप्रिसिएशन – कैपिटल एप्रिसिएशन का मतलब होता है, किसी चीज को उसके खरीदे हुए प्राइस से ज्यादा में बेचना | मान लीजिए – आपने कोई शेयर ₹100 का खरीदा और आगे चलकर उस शेयर का प्राइस ₹200 हो जाने पर बेच दिया, जिस पर आप को ₹100 का लाभ हुआ |
ध्यान दे – इसमें ना ही शेयर बल्कि गोल्ड, सिल्वर, म्यूच्यूअल फंड आदि में भी आप इन्वेस्ट कर के कैपिटल एप्रिसिएशन का लाभ ले सकते हैं |

investment

Investment के प्रकार?

इन्वेस्टमेंट के दो प्रकार होते हैं –

Short Term Investment (शॉर्ट टर्म)Long Term Investment (लॉन्ग टर्म)
शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट में ज्यादातर 1 से 3 सालों  साल तक के लिए इन्वेस्ट किया जाता है |लॉन्ग टर्म में 5 साल से ज्यादा समय के लिए इन्वेस्ट किया जाता है |
शॉर्ट टर्म में इन्वेस्ट करने पर, ज्यादातर हमें अच्छे रिटर्न  देखने को नहीं मिलता |लॉन्ग टर्म में इन्वेस्ट करने पर हमें अच्छे रिटर्न देखने को मिलता है |
शॉर्ट टर्म में ज्यादातर लोगों का पैसा डूब जाता है |लॉन्ग टर्म में ना के बराबर ही लोगों का पैसा डूबता है |

Investment की जरूरत क्यों है?

इसके कई कारण हो सकते हैं –

1) इन्फ्लेशन को कम करना – जैसा कि हम जानते हैं | हर साल महंगाई बढ़ती जा रही है | जो ₹100 की वैल्यू आज है, वह 40 साल पहले इससे कहीं ज्यादा थी | इसी महंगाई को कम करने के लिए हमें इन्वेस्ट करने की जरूरत है |
2) रिटायरमेंट की प्लानिंग करना –
इन्वेस्टमेंट करने का एक यह भी फायदा होता है, कि आप जब चाहे तब रिटायर हो सकते हैं, और अपने पैसों को आराम से बढ़ता हुआ देख सकते हैं | 
3) टैक्स सेविंग करना –
बहुत सारी इन्वेस्टमेंट स्कीम्स ऐसी भी होती हैं | जिस में आप इन्वेस्ट करके ज्यादा-से-ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं |  
4) अपने गोल को पूरा करना –
इन्वेस्टमेंट करके आप अपने गोल्स को पूरा कर सकते हैं | मान लीजिए – आप ने गाड़ी खरीदने का, घर खरीदने का या फिर बच्चों की पढ़ाई का गोल बनाया हुआ है, तो आप इन्वेस्टमेंट करके आसानी से इन गोल्स को पूरा कर सकते हैं |
5) कंपाउंडिंग का लाभ उठाना –
अल्बर्ट आइंस्टाइन के अनुसार कंपाउंडिंग ही दुनिया का आठवां अजूबा है | जो इसे जान गया, वह पैसे कमाता है और जो नहीं वह पैसे चुकता है |
उदाहरण के लिए मान लीजिए –  दो लोग हैं, एक का नाम रमेश, दूसरे का नाम सुरेश है | दोनों ने ₹1,00,000 15% के रिटर्न पर, 35 साल के लिए इन्वेस्ट किया | रमेश ने वहां इन्वेस्ट किया जहां उसे सिंपल इंटरेस्ट मिलता था | वही सुरेश कंपाउंडिंग की पावर को जानता था | इसलिए उसने वहां इन्वेस्ट किया जहां कंपाउंड इंटरेस्ट मिलता था | इस तरह रमेश ने सिंपल इंटरेस्ट से ₹6,25,000 कमाए |  वही सुरेश ने कंपाउंड इंटरेस्ट से ₹1,33,17,552 कमाए | तो इस तरह आपने देखा की सुरेश ने पावर आफ कंपाउंडिंग की मदद से रमेश से 20 गुना से भी ज्यादा पैसे कमाए | 

Investment की शुरुआत कैसे करें?

इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले आपके पास तीन अकाउंट होने चाहिए | 
सेविंग अकाउंट, डिमैट अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट
ध्यान दें – बिना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के आप इन्वेस्ट नहीं कर सकते |

Investment की शुरुआत कब करें?

मेरी राय से हमें इन्वेस्टमेंट की शुरुआत जितनी जल्दी हो सके शुरू कर देना चाहिए | 

आइए इसे उदाहरण से समझते हैं – रमेश और सुरेश दोनों ने अपने रिटायरमेंट उम्र (60 साल) तक इन्वेस्ट करने का फैसला लिया | रमेश की उम्र इस समय 30 साल है, तो उसने 30 साल तक के लिए किया | वही सुरेश की उम्र अभी 20 साल है, इसलिए उसने 40 साल तक के लिए इन्वेस्ट किया | दोनों ने ₹1,00,000 15% रिटर्न पर इन्वेस्ट किया | इस तरह रमेश ने 60 साल की उम्र में ₹66,21,177 बनाये और सुरेश ने 60 साल की उम्र में ₹2,67,86,354 बनाये | तो आपने देखा कि सुरेश ने रमेश से पहले इन्वेस्टिंग शुरू कर दी थी | इसलिए उसे ज्यादा मुनाफा हुआ |

Investment में ध्यान देने वाली बातें?

इन्वेस्टमेंट में ध्यान देने वाली बातें मुख्य रूप से दो ही होती हैं –
1) मार्केट के मूड को जानना |
2) कंपनी के फंडामेंटल्स को अच्छी तरह से जांचना और परखना |

FAQ –

Ques – एप्रिसिएशन vs डेप्रिसिएशन?

Ans – समय के साथ एसेट की वैल्यू बढ़ने को एप्रिसिएशन कहते हैं |
वहीं समय के साथ जब एसेट की वैल्यू घटती है, तो उसे डेप्रिसिएशन कहते हैं |

Ques – कंपाउंडिंग का फार्मूला क्या होता है?

Ans – C.I. = A-P
फॉर कंपाउंडेड एनुअली – A = P(1+R/100)^t
फॉर कंपाउंडेड सेमी एनुअली – A = P(1+R/100)^2t
फॉर कंपाउंडेड क्वार्टरली – A = P(1+R/100)^4t

यहाँ पर –
A = Amount.
P = Principal.
R = Rate.
T = Time.
C.I. = Compound Interest.

Ques – एसेट और लायबिलिटी क्या होती है?

Ans – एसेट – जिस चीज से आपकी जेब में पैसे आते हैं, उसे एसेट कहते हैं |
उदाहरण के लिए – घर रेंट पर देना,  कंपनी के शेयर खरीदना, यहां तक की यह वेबसाइट भी एक एसेट है, आदि |
लायबिलिटी – जिस चीज से आपकी जेब से पैसे जाते है, उसे लायबिलिटी कहते हैं |
उदाहरण के लिए – आपका फोन, गाड़ी, यहां तक कि आपका घर आदि |

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *