Support aur Resistance (S&R) kya hota hai?

Support aur Resistance (S&R) kya hota hai?

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Support aur Resistance किसी चार्ट में उस खास PRICE POINT को बताता है | जिस पर Buyers या फिर Seller सबसे ज्यादा Active रहते है |
Support और Resistance किसी स्टॉक के चार्ट में, दो अलग-अलग Price Points होते है |

Support Price चार्ट का वो PRICE POINT होता है, जहा से आगे Seller के मुकाबले Buyers की संख्या ज्यादा होने की सम्भावना होती है, और इसलिए स्टॉक का भाव  Support price point से ऊपर की तरफ चढ़ने की संभावना होती है |

दूसरी तरफ, Resistance Price चार्ट का वो PRICE POINT होता है, जहा से आगे Buyers के मुकाबले Seller की संख्या ज्यादा होने की सम्भावना होती है, और इसलिए स्टॉक का भाव  Resistance price point से नीचे की तरफ गिरने की संभावना होती है |

सपोर्ट और रेजिस्टेंस से हमे तीन बातो का पता चलता है –

Entry Point – किसी ट्रेड में कब प्रवेश करना है, यानी शेयर को किस मूल्य पर खरीदना है |
Exit Point – किसी ट्रेड में कब sell करना है या stop loss बुक करना है |
Target – किसी ट्रेड से कितना Profit लिया जा सकता है |

इस तरह आप ये भी समझ लेते है कि जहा से स्टॉक का price ऊपर जाने वाला है, वहा आपका एंट्री पॉइंट होना चाहिए, और जहा से स्टॉक का price नीचे गिरने वाला है, वो आपका Exit point होगा, और इस तरह इन दोनो price के बीच आप अपना एक profit का target भी सेट कर सकते है |

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Support kya hota hai?

Support का हिंदी में अर्थ सहारा देना होता है | Support का मतलब जब किसी स्टॉक का प्राइस गिर रहा होता है और वो अपनी किसी पुरानी गिरावट के प्राइस को बार-बार हिट करके वापिस ऊपर जा रहा होता है या उसी के आस पास घूम रहा होता है और स्टॉक का प्राइस उस प्राइस से और नीचे जाने को तैयार नहीं होता है तो उसको सपोर्ट कहा जाता है और वहाँ पर हम एक लाइन खींच देते हैं जिसको सपोर्ट लाइन कहते हैं |

उदाहरण – मान लीजिए xyz के शेयर प्राइस की वर्तमान कीमत 600 रूपये है और ये 10 दिन पहले 650 थी लगातार कीमत गिरने के बाद आज ये 600 रुपये पर पहुँच गया और ये तीन – चार दिन से 600 से 610 के बीच ही घूम रहा है | अब हम देखते हैं कि करीब 2 महीना पहले शेयर के प्राइस ने 600 का लो बनाया था और उसके कुछ दिन पहले उसी शेयर ने 570 का लो बनाया था |
तो अब ये माना जा सकता है कि शेयर 600 का सपोर्ट ले रहा है किन्तु अगर ये इस सपोर्ट को तोड़ता है तो 570 तक जा सकता है।

सपोर्ट के आधार पर ट्रेड लेना –
सपोर्ट के आधार पर ट्रेड लेना ज्यादा मुश्किल नहीं है किन्तु स्टॉक मार्किट में निवेश किया है तो हमेसा लॉस के लिये भी खुद को तैयार रखें सपोर्ट में भी आपको स्टॉप लॉस के साथ काम करना होता है क्यूंकि जो स्टॉक 600 में चल रहा था | अगर अचानक उसने सपोर्ट को तोड़ दिया तो ये 570 तक जा सकता है | तो आपको बहुत भारी नुक्सान हो सकता है।
तो आपने स्टॉक को 600 पर लिया और एक स्टॉप लॉस 593 या 595 का लगा दिया अब अगर स्टॉक सपोर्ट तोड़कर और गिरता है | तो आपको नुक्सान 5 से 7 रुपये का ही होगा और अगर ये वापिस ऊपर चला जाता है | तो आपको काफी बड़ा फायदा हो सकता है |

Concept of Support –
(1) Support Price किसी स्टॉक के current market price से नीचे यानि कम होता है |
(2) Support price point से स्टॉक का price में bounce back आने की सम्भावना होंती है, और स्टॉक का price ऊपर की तरफ जा सकता है |
(3) Support price point से हमें ये समझ आता है कि – इस price point पर ट्रेडर जितना अधिक उस स्टॉक को बेचना चाहते थे, बेच चुके है, और अब स्टॉक का price अपने पिछले सपोर्ट प्राइस पॉइंट पर आने के बाद, कम भाव के कारण उस स्टॉक को खरीदने वाले लोग पसंद करेंगे, और Buyers के खरीदने से उस स्टॉक का प्राइस सपोर्ट प्राइस से ऊपर की तरफ जाने लगेगा |
(4) Support से हमें Bearish Trend के बदलने और स्टॉक के भाव में तेजी आने की सम्भावना का Signal मिलता है |
(5) Support Point हमें बताता है कि – अगर किसी स्टॉक का price नीचे गिर रहा है, तो उस स्टॉक का price चार्ट पर दिखने वाले अपने पिछले सपोर्ट price के आस पास तक ही गिरेगा, और पिछले सपोर्ट price से स्टॉक का भाव और निचे जाने के बजाये bounce back करके ऊपर की तरफ जा सकता है |
(6) किसी स्टॉक के सपोर्ट प्राइस पॉइंट पर इस बात की पूरी सम्भावना होती है कि – उस स्टॉक का गिरता हुआ प्राइस रुक जायेगा, और ये भी हो सकता है कि अगले कुछ trading session में स्टॉक का प्राइस अपने पिछले सपोर्ट प्राइस के आस-पास ही घूमता रहे, और फिर ऊपर की तरफ जाए |

ध्यान देने वाली बातें –
(1) Support Price Point से मार्केट के ऊपर जाने की सम्भावना होती है, इसलिए हमें इस पॉइंट पर खरीदने (Buy) के बारे में सोचना चाहिए, और स्टॉक को Support Price Point पर खरीदना चाहिए |
(2) कभी-कभी जब आप Short Selling करते है, तो आपको स्टॉक को कम भाव में खरीदना होता है, तो ऐसे केस में आप Support Price Point के आस पास शेयर को खरीद कर अपनी Short Selling position को क्लोज कर सकते है |

Resistance kya hota hai?

Resistance का हिंदी अर्थ होता है – रुकावट | रेजिस्टेंस support का बिलकुल उल्टा होता है | रेजिस्टेंस में जब स्टॉक की कीमत बढ़ रही होती है, और एक समय ऐसा आता है की स्टॉक का प्राइस एक रेंज बांड में टहलता रहता है | तो कोई बड़ा मूव नहीं देता है और अपने पिछले हाई को बार-बार छू कर वापिस आ जाता है | तो जिस पिछले हाई को स्टॉक बार-बार छूता है | वो उसका Resistance कहलाता है। 
अगर आप नीचे के चित्र को ध्यान से देखेंगे तो स्टॉक लाल रेंज में ही घूम रहा है ये अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर स्टॉक का प्राइस ऊपर वाली लाल लाइन को क्रॉस करता है | तो ये नीली लाइन को टच करने की कोशिश करेगा और अगर इसने नीली लाइन को भी पार कर दिया तो स्टॉक लम्बी दौड़ लगाने के लिये तैयार हो जाता है। 
इसको हम ब्रेक आउट भी कहते हैं अगर ये अपने हाई के पास है | तो इसमें थोड़ा ये भी ध्यान रखना होता है, कि अगर आप ब्लू चिप स्टॉक का चयन करते हैं | तो ये ज्यादा काम करता है | क्यूंकि ये एक प्रॉफिट मेकिंग कम्पनी होती है, और इसमें ज्यादा समय तक गिरावट नहीं होती।

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Resistance के आधार पर ट्रेड –
(1) या तो आप ब्रेकआउट का या स्टॉक का प्राइस नीली कैंडल के ऊपर जाने का इंतज़ार करें तब ट्रेड लें इससे आपको स्टॉक थोड़ा महंगा मिलेगा लेकिन प्रॉफिट के चांस जल्दी और ज्यादा हो सकते हैं। 
(2) आप ट्रेड लेने के बाद उसके ब्रेकआउट का इंतज़ार करें इससे आपको स्टॉक बेहद सस्ते दाम में मिल जायेगा किन्तु आपको ब्रेकआउट का इंतज़ार करना पड़ेगा।

Resistance के आधार पर स्टॉप लॉस – 
पहले ऑप्शन में आपके ट्रेड लेने के बाद नीली लाइन आपका सपोर्ट हो जाएगी तो आपको उसके नीचे का स्टॉप लॉस लगा लेना है और दूसरे ऑप्शन में आपको चित्र में दिखाई गयी नीचे वाली लाल लाइन के नीचे का स्टॉप लॉस लगा देना है। 
इसको अब हम वैल्यू के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं | मान लीजिये – नीली लाइन पर स्टॉक का प्राइस 520 है और ऊपर वाली लाल लाइन पर प्राइस 510 है और नीचे वाली लाल लाइन पर प्राइस 500 है | तो ऊपर दिये गये पहले तरीके में आपको एंट्री करनी है | जब स्टॉक का प्राइस 520 के ऊपर करीब 522 से 525 के बीच हो और स्टॉपलॉस आपका होगा पहली लाल लाइन के नीचे 507-508.

stock market resistance chart

Concept of Resistance –
(1) Resistance Price Point किसी स्टॉक के current market price से ऊपर यानी अधिक होता है |
(2) Resistance price point से स्टॉक के price में Down Reversal आने की सम्भावना होंती है, और स्टॉक का price नीचे की तरफ आ सकता है |
(3) Resistance price point से हमें ये समझ आता है कि – इस price point पर ट्रेडर जितना अधिक उस स्टॉक को खरीदना चाहते थे, उतना खरीद चुके है, और अब स्टॉक का price अपने पिछले रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट पर आने के बाद, बहुत अधिक भाव के कारण उस स्टॉक को बेचने वाले लोग पसंद करेंगे, और Seller के अधिक बेचने से उस स्टॉक का प्राइस, रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट से नीचे की तरफ आने लगेगा |
(4) Resistance से हमें bullish Trend के बदलने और स्टॉक के भाव में मंदी आने की सम्भावना का Signal मिलता है |
(5) Resistance Point हमें बताता है कि – अगर किसी स्टॉक का price ऊपर जा रहा है, तो उस स्टॉक का price चार्ट पर दिखने वाले अपने पिछले रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट से नीचे की तरफ आने लगेगा |
(6) Resistance से हमें bullish Trend के बदलने के और पिछले Resistance  Point से स्टॉक का भाव और ऊपर जाने के बजाये Reversal करके, नीचे की तरफ जा सकता है |
(7) किसी स्टॉक के रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट पर इस बात की पूरी सम्भावना होती है कि – उस स्टॉक का चढ़ता हुआ प्राइस रुक जायेगा, और ये भी हो सकता है कि अगले कुछ trading session में स्टॉक का प्राइस अपने पिछले रेजिस्टेंस प्राइस पॉइंट प्राइस के आस पास ही घूमता रहे, और फिर नीचे की तरफ जाए |

ध्यान देने वाली बातें –
(1) Resistance price point से मार्केट के नीचे  जाने की सम्भावना होती है, इसलिए हमें इस पॉइंट पर बेचने (Sell) के बारे में सोचना चाहिए, और स्टॉक को Resistance price point पर बेच देना चाहिए |
(2) अगर आप Short selling का मौका खोज रहे है तो Resistance price point पर शोर्ट selling करके, आप बाद में Support Price Point पर खरीद कर लाभ कमा सकते है |
(3) अगर आपने स्टॉक को ख़रीदा हुआ है, और आप उसे बेचकर लाभ कमाना चाहते है, तो आपको अपना स्टॉक Resistance price point पर बेच देना चाहिए, क्योकि इस प्राइस पॉइंट से मार्किट वापस नीचे जा सकता है, और आप बेचने का मौका चुक सकते है |
(4) Resistance price point किसी सौदे के लॉन्ग पोजीसन में Target Price हो सकता है |

Support and Resistance की पहचान चार्ट पर कैसे करे?

Support and resistance को पहचानने के लिए 4 स्टेप है –
(1) चार्ट पर डाटा पॉइंट्स को लोड करना (Load Data Points)
(2) चार्ट पर दिखने वाले चार प्राइस एक्शन जोन को पहचानना (Identify at least 3 price action zone)
(3) प्राइस एक्शन जोन को एक सीधी लाइन से मिलाना (Align the Price Action Zone)
(4) कम-से-कम 3 हॉरिजॉन्टल लाइन खीचना (Fit a Horizontal line)

(1) चार्ट पर डाटा पॉइंट्स को लोड करना (LOAD DATA POINTS)

चार्ट पर डाटा पॉइंट को लोड करने से हमारा मतलब है, कि हम Support and resistance कितने समय के अन्दर देखना चाहते है | जैसे – Intra Day Trading के लिए कुछ दिनों का डाटा पॉइंट काफी हो सकता है | जबकि swing trading के लिए कुछ weeks के डाटा पॉइंट्स की जरुरत होगी | इसके अलावा अगर हम लम्बे समय के निवेश के मौके चाहते है और लम्बे समय के लिए Support and resistance की तलाश कर रहे है | तो हमें लम्बे समय 6 महीने, 1 साल या उस से ज्यादा समय के डाटा पॉइंट को चार्ट में लोड करना होगा,

तो Support and resistance की पहचान के लिए इस बात को ध्यान में रखना है, की जब हम भी डाटा पॉइंट को लोड करे तो जिस तरह का और जितने समय का ट्रेड लेना चाहते है, उसकी के अनुसार चार्ट में डाटा पॉइंट को लोड करना चाहिए |

(2) चार्ट पर दिखने वाले चार प्राइस एक्शन जोन को पहचानना (IDENTIFY AT LEAST 3 PRICE ACTION ZONE)

एक उचित टाइम फ्रेम के लिए चार्ट पे डाटा लोड हो जाने के बाद हमें कुछ प्राइस एक्शन जोन को पहचानना है | प्राइस एक्शन जोन में तीन बाते हो सकती है, और इन तीनो में से कोई एक चीज, चार्ट में नजर आ रहा है | तो वह प्राइस एक्शन जोन हो सकता है | वे तीन बाते है –

(i) चार्ट में ऐसी जगह जहा प्राइस थोडा नीचे जाकर, थोड़े देर तक रुक सा जाता है, और किसी पर्टिकुलर प्राइस से नीचे नहीं जाता है, और अगले कुछ trading session इसी bottom range में चलता रहता है |
अगर ऐसा कुछ चार्ट में दीखता है | तो ये सपोर्ट का प्राइस एक्शन जोन हो सकता है |


(ii) चार्ट में ऐसी जगह जहा प्राइस थोडा ऊपर जाकर, थोड़े देर तक रुक सा जाता है, और किसी पर्टिकुलर प्राइस से ऊपर नहीं जाता है, और अगले कुछ trading session इसी टॉप range में स्टॉक का प्राइस चलता रहता है,
तो अगर ऐसा कुछ चार्ट में दीखता है, तो ये रेजिस्टेंस का प्राइस एक्शन जोन हो सकता है,

(iii) चार्ट में ऐसी जगह, जहा से स्टॉक के प्राइस में कम्पलीट रेवेर्सल आ जाता है, यानि किसी पर्टिकुलर प्राइस पर जाकर स्टॉक या तो नीचे चला जाता हो, या ऊपर चला जाता हो, और फिर नीचे या ऊपर जाने के बाद उसी प्राइस के range अगले कुछ trading session चलते रहते हो |
इस तरह आप प्राइस एक्शन जोन को पहचान कर उसे सर्किल भी कर सकते है, ताकि आपको ध्यान में रहे |

(3) प्राइस एक्शन जोन को एक सीधी लाइन से मिलाना (ALIGN THE PRICE ACTION ZONE)

अब जैसे ही हमें प्राइस एक्शन जोन मिल जाते है | तो अगला स्टेप है | एक जैसे प्राइस एक्शन जोन को एक सीधी लाइन से मिलाना, जिसे Align the Price Action Zone स्टेप कहा जाता है |
इस स्टेप में Price Action Zone की सीधी लाइन खीचते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि – दो प्राइस एक्शन जोन के बीच पर्याप्त टाइम का अंतर हो |
जैसे – अगर 12 महीने के चार्ट पर प्राइस एक्शन जोन को सीधी लाइन से मिलाते समय अगर पहला प्राइस एक्शन जोन किसी महीने के पहले वीक में है | तो अगला प्राइस एक्शन जोन कम-से-कम महीने के आखिरी में होना चाहिए |

(4) कम-से-कम 3 हॉरिजॉन्टल लाइन खीचना (FIT A HORIZONTAL LINE)

कम-से-कम 3 प्राइस एक्शन जोन को एक सीधी लाइन से मिलाने पर हमें एक सपोर्ट या रेजिस्टेंस की लाइन मिल जाती है |
प्राइस एक्शन जोन चाहे जो भी है | हमें सिर्फ टाइम फ्रेम और गैप को ध्यान में रखना है | ताकि दो प्राइस एक्शन जोन के बीच पर्याप्त गैप रहे |
जब हम तीन हॉरिजॉन्टल लाइन खीच लेते है | तो इसके द्वारा हम किसी ट्रेड के 100% कन्फर्मेशन का पता नहीं चलता, बल्कि इस तरह के हॉरिजॉन्टल लाइन से हमें एक बेहतर सम्भावना वाले ट्रेड को predict कर सकते है |
अगर कोई लाइन चार्ट में करंट मार्किट प्राइस के नीचे है, तो इसका मतलब यह एक सपोर्ट लाइन है, और इस सपोर्ट लाइन पर सर्किल किये गए प्राइस को सपोर्ट प्राइस कहलाता है |
अगर कोई लाइन चार्ट में करंट मार्किट प्राइस के से ऊपर है, तो इसका मतलब यह एक रेजिस्टेंस लाइन है, और इस रेजिस्टेंस लाइन पर सर्किल किये गए प्राइस को रेजिस्टेंस प्राइस कहलाता है |
अब जब हमें सीधे सीधे, सपोर्ट लाइन और रेजिस्टेंस लाइन मिल जाता है | तो हम इस लाइन से मिलने वाले प्राइस से 1 % वेरिएशन के साथ, किसी स्टॉक का सपोर्ट प्राइस और रेजिस्टेंस प्राइस निकाल सकते है |

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FAQ –

Ques – Support & Resistance vs Demand & Supply?

Ans – जैसा कि आपको पता है कि हर stock के buyers और seller होते हैं | इसी तरह स्टॉक में एक ऐसा प्राइस पॉइंट आता है | जहां बहुत सारे buyers और sellers होते हैं | जिस प्राइस पॉइंट पर बहुत सारे buyers होते हैं | वह सपोर्ट create कर देते हैं | वही जिस प्राइस पॉइंट पर बहुत सारे sellers होते हैं | वह resistence create कर देते हैं | इसी तरह जहां बहुत सारे buyers होते हैं | वह उस स्टॉक का डिमांड zone कहा जाएगा | वहीं जहां बहुत सारे sellers होते हैं | वह उस स्टॉक का सप्लाई zone कहा जाता है |

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