Demat aur Trading account kya hota hai?
Demat Account | Trading Account |
डीमैट अकाउंट का फुल फॉर्म डिमैटेरियलिजेशन अकाउंट होता है | यह अकाउंट आपके बैंक अकाउंट जैसा होता है, जैसे आप अपने बैंक अकाउंट में पैसों को रखते हैं | वैसे ही डीमैट अकाउंट में खरीदे हुए शेयर्स को रखा जाता है | | इस अकाउंट का उपयोग हम शेयर्स को खरीदने और बेचने (ट्रेड) के लिए करते हैं | |
आइए इसे उदाहरण से समझते हैं | मान लीजिए – आप ने अपने पर्स से कुछ पैसे निकाल कर दुकानदार को दिए | तो अब आप देखेंगे कि आपका पर्स एक डीमैट अकाउंट की तरह काम कर रहा है, और आपने पैसे दिए इसलिए आप एक ट्रेडिंग अकाउंट की तरह काम कर रहे हैं | अब इसी में अगर हम दुकानदार को देखें तो दुकानदार एक ट्रेडिंग अकाउंट जैसा काम कर रहा है, क्योंकि वह पैसे ले रहा है | वही दुकानदार का गल्ला डिमैट अकाउंट की तरह काम कर रहा है |
Demat अकाउंट कहां ओपन होता है?
जैसे बैंक अकाउंट बैंक में ओपन होता है | उसी तरह डिमैट अकाउंट डिपॉजिटरी कंपनी में ओपन होता है | भारत में दो ही डिपॉजिटरी कंपनी है | सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड (CDSL) और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) |
ध्यान दें – हम बैंक अकाउंट की तरह डायरेक्टली डिपॉजिटरी में अकाउंट, नहीं ओपन कर सकते | डिमैट अकाउंट किसी ब्रोकरेज फर्म के द्वारा ही ओपन होता हैं | भारत में हजारों ब्रोकरेज फर्म है, जैसे – Zerodha, Groww आदि | जो किसी-न-किसी डिपॉजिटरी कंपनी से लिंक होते है |
ब्रोकरेज फर्म क्या होता है?
खरीदार और बेचने वाले के बीच में ब्रोकरेज फर्म मिडिल मैन (बिचौलिया) का काम करते हैं |
ब्रोकरेज फर्म के प्रकार?
ब्रोकरेज फर्म के तीन प्रकार होते हैं –
फुल सर्विस ब्रोकरेज फॉर्म | बैंक | डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म |
फुल सर्विस ब्रोकरेज फॉर्म इन्हें कहा जाता है, क्योंकि यह बहुत सारी सर्विस देते हैं | जैसे रिलेशनशिप मैनेजर, कॉल एंड ट्रेड, रिकमेंडेशन टिप्स आदि | जिसके बदले में ये फर्म ज्यादा फीस चार्ज करते हैं | उदाहरण के लिए – Sharekhan, Motilal Oswal आदि | | बैंक बेसिकली 3-इन-1 अकाउंट खोलते हैं | लेकिन बैंक के ब्रोकरेज चार्ज बहुत ही ज्यादा होते हैं | | डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म में कोई रिलेशनशिप मैनेजर और रिकमेंडेशन टिप्स नहीं मिलती | अगर आपको कोई परेशानी आती है, तो फिर आप को उनके सर्विस सेंटर या फिर उनको ईमेल करना होगा | इसलिए डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म के ब्रोकरेज चार्ज कम होते हैं | उदाहरण के लिए – 5paisa, Upstox, Zerodha आदि | ज्यादातर डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म कॉल एंड ट्रेड करने का भी चार्ज लेते हैं | |
ध्यान दें – फुल सर्विस ब्रोकरेज फर्म और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म दो अकाउंट खोलते हैं डीमैट और ट्रेडिंग |
ध्यान दें – किसी भी ब्रोकर के यहां अकाउंट खोलने से पहले ब्रोकरेज चार्ज / फीस के बारे में जरूर जान ले नहीं तो आगे चलकर आपका नुकसान भी हो सकता है |
मेरी राय से हमें अपना डिमैट अकाउंट डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म में ही खोलना चाहिए |
DP चार्ज क्या होता है?
DP चार्ज का फुल फॉर्म डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज होता है | मान लीजिए – हम जब भी ब्रोकर के जरिए शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं | अगर उस ब्रोकर का बिजनेस बंद हो गया, तो हम डायरेक्टली CDSL या NSDL से अपने शेयर को एक्सेस कर सकते हैं | इस तरह डिपॉजिटरी हमारी इन्वेस्टमेंट को सेफ रखने का काम करती है | जिसके बदले में डिपॉजिटरी छोटी सी फीस लेती है, जिसे डीपी चार्ज कहते हैं |
ध्यान दें – ब्रोकरेज फर्म भी DP चार्ज ले सकते हैं | क्योंकि उन्हें भी डिपॉजिटरी को कई तरह के चार्ज देने होते हैं |
CDSL vs NSDL?
CDSL | NSDL |
CDSL का फुल फॉर्म सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड होता है | यह भारत का दूसरा इलेक्ट्रॉनिक डिपॉजिटरी है | जिसकी स्थापना फरवरी 1999 में हुई थी | CDSL डिपॉजिटरी BSE के लिए काम करती है | अगर आपका डिमैट अकाउंट CDSL में है, तो आपकी ID में 16 नंबर होंगे | | NSDL का फुल फॉर्म नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड होता है | यह भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक डिपॉजिटरी है | जिसकी स्थापना 8 नवंबर 1996 मैं हुई थी | NSDL डिपॉजिटरी NSE के लिए काम करती है | अगर आपका डिमैट अकाउंट NSDL में है, तो आपकी आईडी की शुरुआत IN से होगी और इसमें 14 नंबर होंगे | इसके साथ ही NSDL PAN कार्ड भी जारी करती है | |
ध्यान दें – दोनों डिपॉजिटरी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है |
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FAQ –
Ques – डिपॉजिटरी का मतलब क्या होता है?
Ans – डिपॉजिटरी का मतलब वह जगह जहां हमारे शेयर डिपाजिट होते हैं | भारत में दो ही डिपॉजिटरी हैं – CDSL और NSDL.